स्वस्थ और संतुलित आहार शैली (Healthy and Balanced diet) से आजीवन निरोग और तंदरुस्त रहिये

भोजन जीवन की सबसे पहली प्राथमिकता होती है। अच्छा और स्वस्थ आहार निरोगी जीवन की सबसे मुख्य कुंजी है। स्वस्थ और संतुलित आहार शैली (Healthy and Balanced diet) से आजीवन निरोग और तंदरुस्त रहा जा सकता है। क्योंकी जैसा हमारा खान-पान होगा हमारा शरीर उसी हिसाब से पोषण प्राप्त करेगा।

आजकल के लाइफ स्टाइल में भोजन की प्राथमिकता हमारी शरीर की ज़रूरत क हिसाब से न होकर हमारी जिव्हा के पसंद और ना-पसंद के हिसाब से हो गई है। इस तरह से हमारी थाली में से स्वस्थ भोजन धीरे धीरे काम होते जा रहे हैं और उनकी जगह जंक फ़ूड लेते जा रहे हैं जो की अस्वस्थ भोजन की श्रेणी में आता है।

स्वस्थ और संतुलित आहार (Healthy and Balanced diet)

हमारे शरीर के सर्वांगीण विकास और पर्याप्त पोषण क लिए जो ज़रूरी अवयव और पोषक तत्व जिन खाद्य पदार्थ में पाए जाते हों वो सभी की संतुलित मात्रा अगर हमारी भोजन की थाली में हों तो वो भोजन स्वस्थ व संतुलित आहार कहा जाएगा।

हमारा आहार का चयन निम्न दो बातों पर निर्भर करता है- प्रथम कि हमारे शरीर में किस अवयव (पोषक तत्व) या न्यूट्रिएंट की कमी है, और दूसरा ये कि हमारी उम्र में शरीर को उसके वजन और लम्बाई (BMI-Body Mass Index) के हिसाब से कितने और किस प्रकार के पोषक तत्वों कि आवश्यकता है। 

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BMI in adults

स्वस्थ और संतुलित (Healthy and Balanced diet) आहार के फायदे और मह्त्व

संतुलित आहार अनेक रोगों और संक्रमण को रोकने में सहायक होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। यह मनुष्य के मानसिक क्षमताओं और स्मरण शक्ति में भी वृद्धि करता है तथा रोगों के जोखिम को कम करता है और सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ाता है। आयु और लंबाई के मुताबिक उचित शारीरिक वजन को बनाए रखने में भी ये काफी सहायक होता है।

एक विविध, संतुलित आहार पोषक तत्वों की कमी से बचने के लिए आपको आवश्यक पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, विटामिन, खनिज, प्रोटीन, फाइबर और पानी सभी आवश्यक घटक प्रदान करता है। कुछ बीमारियों को रोकता और उनका उपचार करता है। स्वस्थ भोजन से मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी कुछ बीमारियों के विकास को रोका जा सकता है।

सेहत के लिए पौष्टिक आहार का महत्व 2 से 19 साल तक की उम्र ज्यादा माना जाता है। इस उम्र में जिस प्रकार का खान-पान आपकी जीवन चर्या में होगा वो ही आगे चल कर आपके जीवन का आधार बनता है। स्वस्थ आहार के फायदे अनेक हैं जिन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं–

  • स्वस्थ भोजन करने से न सिर्फ आपका शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि आपका दिमाग भी तेज होता है।
  • स्वास्थ्य के लिए अच्छा खाना खाने से शरीर मजबूत होता है।
  • स्वस्थ आहार हड्डियों को मजबूत रखते हैं।
  • पौष्टिक भोजन गर्भावस्था के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

हरी-सब्जियां और फल मोटापा, कैंसर, डायबिटीज, ह्रदय रोग जैसी गंभीर शारीरिक समस्याओं से बचाव करते हैं। खासकर वो खाद्य पदार्थ जिसमें फाइबर की अधिक

किस तरह का आहार संतुलित और स्वस्थ आहार कहा जा सकता है ?

संतुलित आहार और नियमित तौर पर व्यायाम या योगा करने से आप वजन कम कर सकते हैं। इससे आप अपना इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं तथा इससे आपकी स्जरीरिक ऊर्जा बरक़रार रहती है, आप सदैव स्फूर्त रहते हैं तथा आपकी मासिक सेहत बना रहता है। पर्याप्त पोषण से आप कई तरह की बिमारियों से बच सकते हैं स्वस्थ आहार (Healthy and Balanced diet) को छः श्रेणी में बांटा जा सकता है-

Healthy and Balanced diet

हरी सब्जियां

सब्जियों में वसा, नमक और चीनी की मात्रा बहुत कम होती है। इनके नियमित सेवन से मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। इससे शरीर को रोगों से बचाव के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है, साथ ही आयु के बढ़ते प्रभाव को कम करता है और रोगों की रोकथाम करता है, जैसे कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि।

अपने भोजन में रंगीन सब्जियों को शामिल करें। खास कर के लाल, नारंगी और गहरे हरे रंग की सब्जियां, जैसे- टमाटर, शकरकंद और ब्रोकली। आप जितना अधिक रंगीन फल और सब्जियां अपनी प्लेट प्लेट में शामिल करेंगे, आपके शरीर को विटामिन, खनिज, फाइटोकैमिकल्स और फाइबर उतना ज्यादा मिलेगा।

फल

फल खाने से हमें पर्याप्त ऊर्जा भी मिलती है। इन सब के आलावा फल हमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे हीट स्ट्रोक, हाई बीपी (उच्च रक्तचाप), कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं।

त्वचा और बालों के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद होते हैं फल। लगभग सभी फलो में पोषक तत्व पाए जाते हैं। फलों में सेब, संतरा, आम और अपने पसंद का कोई भी एक या दो फल आप अपने खाने के रूटीन में शामिल जरूर करें।

मीट, मछली, अंडा (पोल्ट्री उत्पाद)

प्रोटीन, मिनरल, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और ऐसे ही कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर अंडा शरीर को न सिर्फ एनर्जी देता है बल्कि स्वस्थ भी रखता है। अंडा उन खाद्य पदार्थों में से एक है जिसमें प्राकृतिक रूप से विटामिन डी पाया जाता है। यह मनुष्य के दिमागी विकास में मदद कर संज्ञानात्मक (cognitive) समस्याओं से बचाव कर सकता है।

हरी सब्जियों और फलों की तरह मीट भी स्वस्थ शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसमें न सिर्फ प्रोटीन होता है बल्कि इसमें जिंक भी मौजूद होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है, त्वचा को स्वस्थ बनाता है और प्रजनन स्वास्थ्य (reproductive health) को बरकरार रखने का काम करता है। इतना ही नहीं मीट में विटामिन बी 12 और ओमेगा-3 भी होता है जो तंत्रिका तंत्र (Nervous System) , ह्रदय और मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो सकता है।

अगर आप अपनी डाइट में मीट नहीं शामिल करना चाहते हैं तो आप मछली का सेवन कर सकते हैं। देखा गया है कि जो बच्चे मछली का सेवन करते हैं उनमें दमा जैसी बीमारी का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। मछली में मौजूद ओमेगा-3 मस्तिष्क और दृष्टि के लिए फायदेमंद होता है। इतना ही नहीं मछली का सेवन अल्जाइमर जैसी भूलने की बीमारी के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। मधुमेह के मरीजों में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मछली का सेवन किया जा सकता है।

अनाज और दाल और फलियां

प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर अनाज, दाल और फलियां रक्तचाप, मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से रोकथाम का काम कर सकती हैं। इसलिए अपने दैनिक आहार में दाल और फलियों को जरूर शामिल करें। संपूर्ण अनाज का सेवन करने से ही स्वस्थ आहार का महत्व मिल पाता है।

रिफाइंड अनाज से आपको संपूर्ण या साबूत अनाज पर स्विच करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर व्हाइट ब्रेड की जगह पर गेंहू से बना हुआ ब्राउन ब्रेड खाएं। आप अपनी थाली में निम्न अनाज को शामिल कर सकते हैं- किनोआ, ओट्स, ब्राउन राइस, बकव्हीट, ओटमील, वाइल्ड राइस इत्यादि।

दूध उत्पाद

दूध में कई तरह के पोषक तत्व जैसे – कैल्शियम, विटामिन ए, विटामिन बी 12, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जिंक होते हैं। यह हड्डियों को मजबूत बनाने से लेकर हृदय रोगों, टाइप 2 डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचाव करने का काम करता है।

इसके साथ ही कोशिश करें आप कम फैट वाला या फैट फ्री दूध उपयोग करें क्योंकि हाई सैचुरेटेड फैट से शरीर हानिकारक कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा हो सकता है। आप दूध युक्त उत्पाद जैसे – पनीर, चीज़ और अन्य सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि अगर आपको दूध से एलर्जी है तो आप उसके बदले सोया मिल्क, बादाम दूध का उपयोग कर सकते है।

शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए आदर्श आहार

एक बच्चे के जीवन के पहले 2 वर्षों में, इष्टतम पोषण स्वस्थ विकास को बढ़ावा देता है और संज्ञानात्मक विकास में सुधार करता है। Healthy and Balanced diet अधिक वजन या मोटे होने और जीवन में बाद में एनसीडी विकसित होने के जोखिम को भी कम करता है।

शिशुओं और बच्चों के लिए स्वस्थ आहार की सलाह वयस्कों के लिए समान है, लेकिन निम्नलिखित तत्व भी महत्वपूर्ण हैं:

  • शिशुओं को जीवन के पहले 6 महीनों के दौरान विशेष रूप से स्तनपान कराना चाहिए।
  • शिशुओं को 2 वर्ष और उसके बाद तक लगातार स्तनपान कराना चाहिए।
  • 6 महीने की उम्र से, स्तन के दूध को विभिन्न प्रकार के पर्याप्त, सुरक्षित और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों के साथ पूरक किया जाना चाहिए। पूरक खाद्य पदार्थों में नमक और शक्कर नहीं मिलानी चाहिए।

वयस्कों के लिए Healthy and Balanced diet (आदर्श आहार)

वयस्कों के लिए एक स्वस्थ आहार (Healthy and Balanced diet) में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • फल, सब्जियां, फलियां (जैसे दाल और बीन्स), नट और साबुत अनाज (जैसे असंसाधित मक्का, बाजरा, जई, गेहूं और ब्राउन राइस)।
  • आलू, शकरकंद, कसावा और अन्य स्टार्चयुक्त जड़ों को छोड़कर, प्रतिदिन कम से कम 400 ग्राम (अर्थात पांच भाग) फल और सब्जियां।
  • प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक (लगभग एक चम्मच के बराबर)। नमक आयोडीन युक्त होना चाहिए।
  • वयस्कों और बच्चों दोनों में, मुफ्त शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन के 10% से कम होना चाहिए। कुल ऊर्जा खपत के 5% से कम की कमी से अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
  • वसा से कुल ऊर्जा सेवन का 30% से कम। असंतृप्त वसा (मछली, एवोकैडो और नट्स, और सूरजमुखी, सोयाबीन, कैनोला और जैतून के तेल में पाए जाने वाले), संतृप्त वसा (वसायुक्त मांस, मक्खन, ताड़ और नारियल के तेल, क्रीम, पनीर, घी और चरबी में पाए जाने वाले) । यह सुझाव दिया गया है कि संतृप्त वसा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन के 10% से कम और ट्रांस-वसा को कुल ऊर्जा सेवन के 1% से कम किया जाए। विशेष रूप से, औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस-वसा स्वस्थ आहार का हिस्सा नहीं हैं और इससे बचा जाना चाहिए।

अच्छे स्वास्थ के लिए क्या नहीं खाना चाहिए ?

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में हैं जिन्हें आपको डाइट से बिल्कुल हटा देना चाहिए और अगर आप उन्हें पूरी तरह हटा नहीं सकते तो कम से कम उसके सेवन सीमित कर दें।

तला-भूना खाना

तला-भूना भोजन शरीर के लिए घातक हो सकता है। तले-भूने खाने से ह्रदय संबंधी समस्या, मोटापा, मधुमेह और कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए जितना हो सके इनसे दूर रहें।

मीठे खाद्य पदार्थ

ज्यादा शुगर वाले खाद्य पदार्थ न सिर्फ मोटापा बढ़ाते हैं बल्कि डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बनते हैं। इसके अलावा ये आपके दांतों को भी खराब कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप इनके सेवन को सीमित करें।

जंक फूड्स

झटपट बनने वाले और आसानी से उपलब्ध बर्गर, पिज्जा, फ्राइज, पैटीज जैसे जंक फूड्स आज धीरे-धीरे स्वस्थ आहार की जगह ले रहे हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ मोटापे के साथ हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, कैंसर और लीवर से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसलिए जितना हो सके जंक फूड्स के सेवन से बचें।

कैफीन

चाय, कॉफी की आदत लगभग हर किसी को होती है। अक्सर लोग तनाव को दूर करने के लिए इसका सेवन करते हैं। चाय और कॉफी कैफीन युक्त होते हैं और शरीर में कैफीन की अधिक मात्रा से अनिद्रा, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जितना हो सके इन पेय पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें।

चीज़, बटर, मायोनीज

दूध उत्पाद जैसे पनीर, चीज़ का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। लेकिन इसमें आप ध्यान रखें कि चीज़, बटर, मायोनीज जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन एक संतुलित मात्रा में कभी-कभी करें। बेहतर है लो फैट डेयरी प्रोडक्ट का उपयोग करें।

सॉफ्ट ड्रिंक

सोडायुक्त पेय पदार्थ या सॉफ्ट ड्रिंक पीने का चलन लगभग हर उम्र के लोगों में दिख रहा है। सॉफ्ट ड्रिंक की बढ़ती यह आदत स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बन सकती है। दरअसल, इसमें मौजूद शुगर और कैफीन की मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार सॉफ्ट ड्रिंक से सेवन से मोटापा, भूख न लगना, दांत खराब होना जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए जितना हो सके इन पेय पदार्थों से दूर रहें।

संरक्षित या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ

जितना हो सके डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ या फ्रोजेन मटर, मीट, मछली और ऐसी ही कई अन्य चीजों के सेवन से बचे। इसके सेवन से बोटुलिज्म नामक बीमारी हो सकती है। यह एक घातक बीमारी है जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक एक रोगाणु द्वारा उत्पन्न जहर के कारण होती है। अगर डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ सही तरीके से न रखा गया हो तो इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ सकता है। इससे व्यक्ति के जान भी जा सकती है।

अल्कोहल व अन्य नशा

जितना हो सके अल्कोहल के सेवन से बचे। लगातार अल्कोहल का किया गया सेवन कैंसर, हृदय रोग मधुमेह जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। धूम्रपान से व्यक्ति को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा उनके फेफड़े धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगते हैं, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

स्वस्थ आहार बनाए रखने पर व्यावहारिक सलाह

फल और सब्जियां

प्रतिदिन कम से कम 400 ग्राम, या पांच भाग फल और सब्जियां खाने से एनसीडी का खतरा कम होता है और आहार फाइबर का पर्याप्त दैनिक सेवन सुनिश्चित करने में मदद करता है।

वसा

कुल वसा की मात्रा को कुल ऊर्जा सेवन के 30% से कम करने से वयस्क आबादी में अस्वास्थ्यकर वजन बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है।

नमक, सोडियम और पोटेशियम

अधिकांश लोग नमक के माध्यम से बहुत अधिक सोडियम का सेवन करते हैं (प्रति दिन औसतन 9-12 ग्राम नमक का सेवन करते हैं) और पर्याप्त पोटेशियम नहीं (3.5 ग्राम से कम)। उच्च सोडियम का सेवन और अपर्याप्त पोटेशियम का सेवन उच्च रक्तचाप में योगदान देता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

प्रति दिन 5 ग्राम से कम के अनुशंसित स्तर तक नमक का सेवन कम करने से हर साल 1.7 मिलियन मौतों को रोका जा सकता है।

शर्करा

वयस्कों और बच्चों दोनों में, मुफ्त शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन के 10% से कम होना चाहिए। कुल ऊर्जा खपत के 5% से कम की कमी से अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

स्वस्थ आहार को कैसे बढ़ावा दें ?

आहार समय के साथ विकसित होता है, कई सामाजिक और आर्थिक कारकों से प्रभावित होता है जो व्यक्तिगत आहार पैटर्न को आकार देने के लिए जटिल तरीके से बातचीत करते हैं।

इन कारकों में आय, खाद्य कीमतें (जो स्वस्थ खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सामर्थ्य को प्रभावित करती हैं), व्यक्तिगत प्राथमिकताएं और विश्वास, सांस्कृतिक परंपराएं, और भौगोलिक और पर्यावरणीय पहलू (जलवायु परिवर्तन सहित) शामिल हैं।

इसलिए, एक स्वस्थ खाद्य वातावरण को बढ़ावा देना – जिसमें विविध, संतुलित और स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने वाली खाद्य प्रणालियाँ शामिल हैं – सरकार और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों सहित कई क्षेत्रों और हितधारकों की भागीदारी की आवश्यकता है।

एक स्वस्थ खाद्य वातावरण बनाने में सरकारों की केंद्रीय भूमिका होती है जो लोगों को स्वस्थ आहार प्रथाओं को अपनाने और बनाए रखने में सक्षम बनाती है। स्वस्थ खाद्य वातावरण बनाने के लिए नीति-निर्माताओं द्वारा प्रभावी कार्रवाइयों में निम्नलिखित शामिल हैं

स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए व्यापार, खाद्य और कृषि नीतियों सहित – राष्ट्रीय नीतियों और निवेश योजनाओं में सामंजस्य बनाना-
  • उत्पादकों और खुदरा विक्रेताओं के लिए ताजे फल और सब्जियां उगाने, उपयोग करने और बेचने के लिए प्रोत्साहन बढ़ाना
  • खाद्य उद्योग के लिए संतृप्त वसा, ट्रांस-वसा, मुक्त शर्करा और नमक/सोडियम के उच्च स्तर वाले प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उत्पादन को जारी रखने या बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन को कम करना
  • औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस-वसा को समाप्त करने के लक्ष्य के साथ, संतृप्त वसा, ट्रांस-वसा, मुक्त शर्करा और नमक/सोडियम की सामग्री को कम करने के लिए खाद्य उत्पादों के सुधार को प्रोत्साहित करना
  • बच्चों के लिए खाद्य पदार्थों और गैर-मादक पेय पदार्थों के विपणन पर डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों को लागू करना
  • पूर्व-विद्यालयों, स्कूलों, अन्य सार्वजनिक संस्थानों और कार्यस्थल में स्वस्थ, पौष्टिक, सुरक्षित और किफायती खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करके स्वस्थ आहार प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मानक स्थापित करना
  • स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिए नियामक और स्वैच्छिक साधनों (जैसे विपणन नियम और पोषण लेबलिंग नीतियां), और आर्थिक प्रोत्साहन या प्रोत्साहन (जैसे कराधान और सब्सिडी) की खोज करना
  • अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय और स्थानीय खाद्य सेवाओं और केटरिंग आउटलेट्स को उनके खाद्य पदार्थों की पोषण गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करना स्वस्थ विकल्पों की उपलब्धता और सामर्थ्य सुनिश्चित करना और मूल्य निर्धारण की समीक्षा करना।
निम्न के माध्यम से स्वस्थ खाद्य पदार्थों और भोजन के लिए उपभोक्ता की मांग को प्रोत्साहित करना-
  • स्वस्थ आहार के बारे में उपभोक्ता जागरूकता को बढ़ावा देना
  • ऐसी स्कूल नीतियों और कार्यक्रमों का विकास करना जो बच्चों को स्वस्थ आहार अपनाने और बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करें
  • बच्चों, किशोरों और वयस्कों को पोषण और स्वस्थ आहार प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना
  • स्कूलों के माध्यम से बच्चों सहित पाक कला कौशल को प्रोत्साहित करना
  • पोषण लेबलिंग के माध्यम से बिक्री के स्थान की जानकारी का समर्थन करना, जो खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की सटीक, मानकीकृत और बोधगम्य जानकारी सुनिश्चित करता है (कोडेक्स एलिमेंटेरियस आयोग के दिशानिर्देशों के अनुरूप), उपभोक्ता की सुविधा के लिए फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग के साथ समझ, तथा
  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में पोषण और आहार परामर्श प्रदान करना
उपयुक्त शिशु और छोटे बच्चे को आहार देने के तरीकों को बढ़ावा देना-
  • स्तन-दूध के विकल्प के विपणन की अंतर्राष्ट्रीय संहिता और बाद में प्रासंगिक विश्व स्वास्थ्य सभा प्रस्तावों को लागू करना;
  • कामकाजी माताओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और प्रथाओं को लागू करना; तथा
  • बेबी-फ्रेंडली हॉस्पिटल इनिशिएटिव के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं और समुदाय में स्तनपान को बढ़ावा देना, उसकी रक्षा करना और समर्थन करना।

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