आम तौर पर किसी व्यक्ति को जब भी सर्दी-खांसी होती है, तो यही देखा जाता है कि वह दवा दुकान से खांसी की दवा खरीदकर खा लेता है। सर्दी-खांसी और जुकाम (cough, cold and flu) होने पर अपनाइये दादी-नानी के ये शानदार घरेलु नुस्खे। बदलते मौसम में सर्दी-खासी और जुकाम होना बोहोत आम बात है। ये बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को हो सकती है। कई बार खांसी और जुकाम के साथ-साथ गले में खराश और दर्द भी होने लगता है।
खांसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन, ऐलर्जी, साइनोसाइटिस या मौसम के बदलाव (सर्द-गर्म) के कारण हो सकती है। इसका इलाज दादी-नानी के असरदार घरेलू नुस्खों से आसानी से किया जा सकता है।
खांसी या जुकाम क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार, किसी भी रोग के मुख्यतः तीन कारण होते हैं जो हैं वात, पित्त और कफ।
आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ के असंतुलन को ही हर शारीरिक समस्या या रोग का कारण माना गया है साथ ही अस्वस्थ भोजन, एवं जीवनशैली के कारण शरीर में वात, पित्त एवं कफ दोष होने लगते हैं।
खांसी-जुकाम मुख्यतः कफ दोष के कारण होती है।
खांसी के प्रकार
मुख्यतः खांसी को दो भागों में बांटा गया है-
- सूखी खांसी (Dry cough)
- गीली खांसी या बलगम युक्त खांसी (Wet cough)
इसके अलावा खांसी समय अवधि के हिसाब से दो तरह की होती हैं-
तेज खांसी
यह थोड़े समय के लिए, या ज्यादातर ऊपरी श्वासनली के संक्रमण के कारण होती है। यह फ्लू या कॉमन कोल्ड के कारण होती है।
पुरानी खांसी
यह 6-8 सप्ताह तक रह सकती है। यह Allergic rhinitis, Lung cancer, Lung infection, या T.B. के कारण हो सकती है ।
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सर्दी-खांसी और जुकाम (cough, cold and flu) के लक्षण
यदि खांसी किसी संक्रमण के कारण होती है, तो उसके निम्न लक्ष्ण हो सकते हैं-
- नाक से पानी आना
- बुखार
- साइनस में दर्द होना।
- शरीर में दर्द और ठंड लगना
- बलगम निकलना
- खांसने पर उलटी की इच्छा होना।
सर्दी-खांसी के कारण
खांसी की बीमारी होने के निम्न कारण हो सकते हैंः-
- वायरल संक्रमण के कारण
- सर्दी या फ्लू के कारण
- प्रदूषण और धूल-मिट्टी से युक्त वातावरण के कारण।
- अधिक धूम्रपान करने के कारण।
- तब (ट्यूबरक्लोसिस) होने के कारण।
- दमा होने के कारण
सूखी खांसी के कारण
सूखी खांसी इन कारणों से होती हैः-
- नाक और गले में किसी बाहरी पदार्थ के कारण एलर्जी होने से सूखी खांसी हो सकती है।
- प्रदूषण युक्त वातावरण में धूल या मिट्टी के कारण सूखी खांसी हो सकती है।
- टी.बी. या दमा जैसी बीमारियां होने पर सूखी खांसी हो सकती है।
- फेफड़ों का कैंसर होने पर सूखी खांसी हो सकती है।
कुक्कुर खांसी के लक्षण एवं कारण
- इसे काली खांसी (whooping cough) भी कहते हैं। यह रोग बोर्डटेल परटयूसिस नामक सूक्ष्मजीवी के कारण होता है, जो शुरुआत में नाक और गले को प्रभावित करता है।
- यह रोग दो वर्ष से कम आयु के बच्चों की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है।
- इसमें बच्चे को बार-बार खांसी के दौरे पड़ते हैं। बच्चे को खांसी के बाद उल्टी होने की भी संभावना रहती है। खांसी के साथ बलगम निकलता है, तथा सांस लेने में कठिनाई होती है, तथा सांस लेने में विशेष प्रकार की आवाज निकलती है।
- इसके बावजूद ये लाइलाज नहीं है। इसका आयुर्वेद में भी इलाज संभव है साथ ही Allopathy में इसका उपचार संभव है।
सर्दी-खांसी में आपका खान-पान
खांसी में आहार का विशेष ध्यान ना रखा जाए तो यह बिगड़ कर पुरानी खांसी का रूप ले सकती है। इसलिए आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
- गर्म एवं ताजा भोजन ही खाएं।
- फलों में अनानास का सेवन करें। अनानास में ब्रोमेलेन एंजाइम पाया जाता है यह। खांसी की तीव्रता को कम करके बलगम को ढीला करता है।
- दिन में 3-4 बार शहद खाएं। यह बच्चों की खांसी में बहुत ही फायदेमंद होता है।
- भोजन में सब्जियों के सूप का सेवन बहुत लाभदायक होता है। इसमें काली मिर्च डालकर सेवन करें।
- भाजन में लहसुन एवं प्याज का भी अधिक सेवन करें। यह म्यूकस के उत्पादन को कम करता है।
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सर्दी-खासी और ज़ुखाम (cough, cold and flu)में दादी-नानी के असरदार घरेलु नुस्खे
हमारे देश में हर परेशानी के लिए लोग डॉक्टरों के पास नहीं जाते। हालांकि हमारी ही किचन में कई ऐसे घरेलु नुस्खे (Home Remedies) छिपे होते हैं जिनसे सर्दी-खांसी-जुकाम जैसी छोटी-मोटी बीमारियां फुर्र हो जाती हैं।
तो आइए हम आपको बताते हैं खांसी-जुकाम ((cough, cold and flu)) में रामबाण ये दादी नानी के शानदार साथ ही असरदार घरेलू नुस्खे..
हल्दी वाला दूध
बचपन में सर्दियों में नानी-दादी घर के बच्चों को सर्दी के मौसम में रोज हल्दी वाला दूध पीने के लिए देती थी। हल्दी वाला दूध जुकाम में काफी फायदेमंद होता है क्योंकि हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कीटाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं।
रात को सोने से पहले इसे पीने से तेजी से आराम पहुचता है। हल्दी में एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल प्रॉपर्टीज मौजूद रहती है जो की इन्फेक्शन से लडती है। इसकी एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज सर्दी, खांसी और जुकाम के लक्षणों में आराम पहुंचाती है.

मसाले वाली चाय
अपनी चाय में अदरक, तुलसी, काली मिर्च मिला कर चाय का सेवन कीजिए। इन तीनों तत्वों के सेवन से खांसी-जुकाम में काफी राहत मिलती है।

शहद, नींबू और इलायची का मिश्रण
आधा चम्मच शहद में एक चुटकी इलायची पाउडर और कुछ बूंद नींबू के रस की बूंदे डालिए। इस सिरप का दिन में 2 बार सेवन करें। आपको खांसी-जुकाम से काफी राहत मिलेगी।

गुनगुना पानी
जितना हो सके गुनगुना पानी पिएं। आपके गले में जमा कफ खुलेगा और आप सुधार महसूस करेंगे साथ ही गर्म पानी में चुटकी भर नमक मिला कर गरारे करने से खांसी-जुकाम के दौरान काफी राहत मिलती है।
इससे गले को राहत मिलती है और खांसी से भी आराम मिलता है। यह भी काफी पुराना नुस्खा है।
शहद और ब्रैंडी
यद्यपि ब्रैंडी पहले ही शरीर गर्म करने के लिए जानी जाती है परन्तु इसकी नापित मात्रा में शहद मिला कर पीने से जुकाम पर काफी अच्छा असर होगा।
आंवला, अदरक और मिश्री
आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है जो खून के संचार को बेहतर करता है और इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। आंवले में अदरक और मिश्री मिला कर सेवन करने से सर्दी-ज़ुखाम में त्वरित लाभ मिलता है
अदरक-तुलसी
अदरक के रस में तुलसी मिलाएं और इसका सेवन करें। अधिक लाभ और मुख के स्वाद के लिए इसमें शहद भी मिलाया जा सकता है।
अलसी (Flaxseeds), नीबू का रस और शहद
अलसी के बीजों को मोटा होने तक उबालें और उसमें नीबू का रस और शहद भी मिलाएं और इसका सेवन करें। जुकाम और खांसी से आराम मिलेगा।
गेहूं की भूसी, लौंग और नमक
जुकाम और खांसी के उपचार के लिए आप गेहूं की भूसी का भी प्रयोग कर सकते हैं।
10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और इसका काढ़ा बनाएं। इसका एक कप काढ़ा पीने से आपको तुरंत आराम मिलेगा।
हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं। गेंहू की भूसी का प्रयोग करने से आपको तकलीफ से निजात मिलेगी।
लहसुन
लहसुन को घी में भून लें और गर्म-गर्म ही खा लें। यह स्वास्थ्य के लिए एकदम शानदार है साथ ही सर्दी ज़ुखाम में एंटीएलर्जी दवा की तरह काम करता है।
अदरक
- एक चम्मच अदरक के रस को शहद के साथ चाटने से सूखी खांसी से आराम मिलता है।
- अदरक को पानी में अच्छी तरह उबाल लें। जब काढ़ा बनकर तैयार हो जाए, तब दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से खांसी में आराम मिलता है।
मुलेठी (यष्टिमधु) का चूर्ण
- मुलेठी का चूर्ण श्वसन तंत्र में सूजन को कम करता है, तथा म्यूकस को ढीला करता है। इसके लिए दो बड़ी चम्मच मुलेठी के चूर्ण को 2-3 गिलास पानी में डालकर उबालें, और 10-15 मिनट तक इसका भाप लें।
- मुलेठी चाय खाँसी में तथा बैठे हुए गले में लाभकारी है। यष्टिमधु कफ निस्सारक का काम करती है। इसके काढ़े को आधी छोटी चम्मच शहद के साथ दिन में दो तीन बार लें।

गिलोय
गिलोय के रस को रोज सुबह-शाम खाली पेट पीने से पुरानी से पुरानी खांसी भी ठीक हो जाती है।

अनार
- अनार के छिलकों को छाया में रख कर सुखा लें। एक-एक टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहें। इससे सूखी खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
- अनार के रस को गर्म कर के पीने से भी खांसी जल्दी ही ठीक हो जाती है।
सरसों
एक चम्मच सरसों के बीजों को एक गिलास गर्म पानी में उबाल लें। अच्छी प्रकार उबल जाने पर पानी को पिएं। इससे जमा हुआ कफ बाहर निकलने लगता है। सरसों के बीज में मौजूद सल्फर जमे हुए कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।
काली मिर्च
काली मिर्च बलगम को बाहर निकालने में मदद करती है, तथा बंद नाक को खोलने में मदद करती है। इसे शहद के साथ मिलाकर चाट लें, या फिर चाय में डालकर इसका सेवन करें।
बादाम
8-10 बादाम लेकर रात को पानी में भिगा दें। सुबह इन्हें छिलकर दरदरा पीस लें। इसमें थोड़ी-सी मक्खन और चीनी मिला लें। दिन में तीन बार इसका सेवन करें। यह गीली खांसी में बेहद फायदेमंद है।
लौंग
ताजी लौंग चबाएं। इसको चबाने से इसका रस सांस नलिकाओं को खोल कर सांस लेने में राहत पहुँचाता है।
अडूसा (वासा)
खाँसी के साथ अगर श्वास फूल रही हो तो अडूसा (वासा) के रस को शहद के साथ लेने से आराम मिलता है।

सर्दी-खासी और ज़ुखाम में परहेज
सर्दी-खासी और ज़ुखाम होने पर ये परहेज करेंः-
- ठण्डी तासीर वाले खाद्य पदार्थ तथा बासी भोजन का सेवन बिल्कुल बन्द कर दें।
- कोल्ड्रिंक, बर्फ का पानी, आइसक्रीम, जंक फूड, तैलीय भोजन का सेवन बिल्कुल ना करें।
- दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन ना करें। इससे खांसी के दौरों में तीव्रता आ सकती है।
- किसी व्यक्ति को विशेष खाद्य पदार्थ से एलर्जी हो सकती है, जिस कारण खांसी होती है। ऐसी चीजों का सेवन बिल्कुल ना करें।
- शोध के अनुसार फलों में केला स्ट्राबैरी, पपीता का सेवन हिस्टामाइन (Histamine) के स्तर को बढ़ा सकते हैं। शरीर में एलर्जिक प्रतिक्रिया होने पर हिस्टामिन उत्पन्न होता है जिस कारण म्यूकस अधिक बनता है।
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खासी-ज़ुखाम को कब गंभीर माना जाये ?
खांसते-खांसते उल्टी हो जाना, या खांसी में खून आने लगे तो तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। यह टी.बी. या फेफड़ो के कैंसर का संकेत भी हो सकता है।
सामान्य खांसी 8-10 दिन के भीतर घरेलू उपचार, एवं उचित खान-पान से ठीक हो जाती है, लेकिन यदि इसके बावजूद भी खांसी 2-3 सप्ताह तक चलती रहे तो यह गंभीर रोग का संकेत हो सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।