जानिए Early Pregnancy Problems और उनके उपचार, ज़रूरी है गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान

शादी के बाद मां बनना हर महिला का सबसे प्रीय स्वप्न होता है। हर महिला चाहती है कि वह एक स्वस्थ और आसान प्रेग्नेंसी के साथ मां बनें। इसलिए बोहोत ज़रूरी है (Early Pregnancy Problems) गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान।

चाहे आप गर्भावस्था के बारे में कितना भी पढ़ें या अन्य माताओं से बात करें, मगर यह पता लगाना काफी मुश्किल है कि आप अपने नौ महीनों में जो महसूस कर रहीं हैं वह सामान्य है या नहीं।

प्रेग्नेंसी के दौरान खानपान से लेकर हर छोटी बड़ी और कई महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान रखना काफी जरूरी होता है। क्योंकि इन दिनों शरीर में तेजी से हॉर्मोन्स परिवर्तन होते है।तो आइये जानते हैं Early Pregnancy Problems और उनके उपचार से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी।

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ज़रूरी है गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों (Early Pregnancy Problems) की पहचान

  • पीरियड्स मिस होना
  • जी मिचलाना और चक्कर आना
  • हल्का रक्तस्राव
  • थकान महसूस होना
  • मॉर्निंग सिकनेस
  • ब्रैस्ट और निप्पल्स में दर्द होना और निप्पल्स का रंग परिवर्तन
  • मूड स्विंग होना
  • सिर दर्द और सिर भरी होना
  • बार बार टायलेट जाना
  • खाने की इच्छा में बदलाव
  • पाचन सम्बन्धी समस्याएं जैसे ब्लोटिंग, कब्ज की शिकायत
Early Pregnancy Problems "गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण" की पहचान
प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण

गर्भावस्था के दौरान की मुख्य समस्याएं

हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी के अनुभव अलग होते हैं परन्तु ये सर्वथा विदित रहे कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हार्मोनल एवं शारीरिक बदलाव होते हैं जो कि कई प्रकार क सामान्य और असामान्य लक्षण पैदा करते है। जिससे कि उन्हें कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बोहोत ज़रूरी है गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों Early Pregnancy Problems की पहचान।

ज़्यादातर महिलाएं इस प्रकार क कुछ परिस्थितियों से सहज ही निपट लेती हैं लेकिन कई बार कई समस्यांए परेशानी का सबब बन जाती हैं। अतः कई स्त्रियों को इनसे उबरने के लिए चिकित्सक सहायता की आवश्यकता हो सकती है। इस दौरान महिलाओं को जिन सामान्य समस्याओं का ज्यादातर सामना करना पड़ता है वो हैं-

  • कब्ज
  • कमजोरी
  • जी मतली और उल्टी
  • खुजली वाले निपल्स
  • ग्रोइन में तेज दर्द
  • स्तनों का लीक होना
  • वुल्वर वैरिकाज़ नसें
  • कम एमनियोटिक फ्लूइड
  • प्रीक्लेम्पसिया
  • मुहांसे
  • गेस्टेशनल डायबिटीज
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  • प्लेसेंटा प्रीविया
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन्स (यूटीआई)
  • एनीमिया
  • हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन
  • वजन बढ़ना
  • डायबिटीज
  • हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम या मॉर्निंग सिकनेस
  • थॉयरॉइड का बढ़ना या घटना

गर्भावस्था के दौरान खान-पान/आहार

पोषक और स्वस्थ आहार

गर्भावस्था में स्त्री को सर्वथा संतुलित, पोषक और स्वस्थ आहार को अपनी दिनचर्या में लाना चाहिए। रोज़ के भोजन को कई हिस्सों में बाँट कर खाना चाहिए जैसे अगर ३ बार खाते हो तो उसे थोड़ा थोड़ा कर के ६ बार में खाया जाना चाहिए ताकि पाचन में आसानी हो।

पानी का सेवन

इस समय भरपूर पानी का सेवन अति आवश्यक है। प्रतिदिन कम से कम ८ से १० गिलास पानी की सलाह दी जाती हैं। अपने रोज़ के दिनचर्या में दूध, ड्राई फ्रूट, मिल्क न फ्रूट शेक, प्रोटीन युक्त खाना, नारियल का पानी ताज़े फलों का रस ज़रूर शामिल करना चाहिए। आपका भोजन शुद्ध और ताज़ा बना हुआ होना चाहिये।

Diet chart for Pregnant woman

प्रेग्नेंसी के दौरान खतरे के संकेत

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में अगर इनमें से कुछ संकेत मिले, तो उन्हें सचेत हो जाना चाहिए ताकि गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों Early Pregnancy Problems की पहचान हो सके-

  • वजाइनल ब्लीडिंग

यदि गर्भावस्था के दौरान खून का बहना शुरू हो जाता है तो जल्द ही अपने चिकित्सक से संपर्क कर उनसे सलाह लेना चाहिए. चिकित्सक जाँच कर यह बतायेंगे कि यह रक्तस्राव सामान्य स्थिति है या गंभीर है. फिर चिकित्सक के निर्देशानुसार जरुरत हो तो उचित ईलाज कराना चाहिए.

इसके अलावा इस दौरान आराम करना चाहिए व ताकत लगने वाला कोई भी काम नहीं करना चाहिए. इस दौरान सेक्स या संभोग नहीं करना चाहिए. टेम्पोन का इस्तेमाल करना चाहिए. शरीर में पानी का कमी नहीं होने देना चाहिए. इसके लिए अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए

  • ऐंठन 

प्रेग्‍नेंसी में ऐंठन होना आम बात है लेकिन कभी-कभी ये चिंता का विषय हो सकता है। इस मामले में प्रेगनेंट महिला का ये समझना जरूरी है कि प्रेग्‍नेंसी में इस कब परेशानी का संकेत बन सकता है। अगर आपको एक घंटे के अंदर 6 या इससे ज्‍यादा बार ऐसा महसूस हो रहा है तो ये प्रीटर्म लेबर का संकेत हो सकता है। इसमें आपकी नौ महीने से पहले ही डिलीवरी हो सकती है। आपको तुरंत डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।

  • धुंधली दृष्टि के साथ गंभीर सिरदर्द

अगर तेज सिरदर्द दो या तीन घंटों से अधिक रहे और साथ में पूरे शरीर पर सूजन और दृष्टि में परिवर्तन महसूस हो, तो आपको प्री-एक्लेमप्सिया हो सकता है। यदि प्री-एक्लेमप्सिया हो, तो ऐसा आमतौर पर गर्भावस्था का आधा चरण पार करने के बाद या फिर शिशु के जन्म के तुरंत बाद ही होता है।

  • बुखार और बिस्तर से बाहर आते ही कमजोरी

अगर आपके शरीर का तापमान 99.5 डिग्री फेहरनहाइट से अधिक है, लेकिन सर्दी और फ्लू के कोई लक्षण नहीं हैं, तो अपनी डॉक्टर को उसी दिन दिखाएं। 102.2 डिग्री फेहरनहाइट से अधिक बुखार हो तो यह आपके शिशु के लिए नुकसानदेह हो सकता है ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हो सकता है आपको कोई इनफेक्शन हो गया हो।

  • गंभीर पेट दर्द

यदि गर्भावस्था का आधा चरण पार करने के बाद यह दर्द हो रहा है, तो यह प्री-एक्लेमप्सिया की निशानी हो सकती है। यह एक गंभीर स्थिति है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरुरत है।

  • तेज या मुश्किल से सांस लेना

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में शिशु के सिर की पोजीशन की वजह से सांस लेने में आसानी या और ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है। शिशु के घूमने और पेल्विस की तरफ आने से पहले उसका सिर पसलियों के अंदर और डायफ्राम पर दबाव महसूस हो सकता है जिससे सांस लेने में दिक्‍कत होती है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

  • उंगलियों, चेहरे और पैरों में सूजन

गर्भावस्था के अंतिम चरण में हाथों, उंगलियों, चेहरे और पैरों में सूजन (इडिमा) सामान्य है और अक्सर इसमें कोई चिंता की बात नहीं होती। मगर, यदि आपको सूजन काफी ज्यादा और अचानक हुई है और साथ में सर दर्द या देखने में भी तकलीफ है, तो आपको प्री-एक्लेमप्सिया हो सकता है। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भावस्था में होने वाली आम समस्याओं से बचाव

गर्भाकाल में होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए हमेशा यह सिफारिश की जाती है कि महिला एक स्वस्थ जीवन शैली, दैनिक संतुलित आहार बनाए रखे, खूब पानी पिए और पोषक तत्वों से भरपूर हो। गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों Early Pregnancy Problems की पहचान के बाद सही उपचार के लिए ये सब आवश्यक है।-

थेरेपी (Therapy)

इस के दौरान ऐसी समस्याओं के वैकल्पिक उपचार में एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, विटामिन बी-6 शामिल हैं जो मतली की भावना से राहत प्रदान कर सकते हैं; पीठ दर्द से राहत प्रदान करने के लिए कायरोप्रैक्टिक हेरफेर और मालिश। योग और अन्य व्यायाम भी गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार पाए गए हैं।

बचाव के उपाय व सावधानी

हर महिला चाहती है कि उसे एक स्वस्थ और आसान प्रेग्नेंसी के साथ मां बनें तथा Early Pregnancy Problems से बचे। दुर्भाग्य से, कुछ महिलाओं को गर्भावस्था की कुछ जटिलताओं को विकसित करने का अधिक जोखिम होता है। ऐसे में गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है जिससे कि गर्भावस्था की समस्याओं को रोका जा सके। जैसे कि-

  • गर्भवती होने से पहले हेल्दी वेट गेन करें तत्पश्चात गर्भवती होने पर अपने वजन को कंट्रोल करें
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें और भरपूर पानी पियें
  • पर्याप्त व्यायाम करें
  • अपने चिकित्सक द्वारा बताए गए सुझावों को मानें
  • फोलिक एसिड और आयरन से भरपूर चीजों का सेवन करें
  • कैल्शियम और विटामिन-सी का सेवन करें
  • बार-बार हाथ धोएं एवं अधपका या बासी खाद्य पदार्थों को खाने से बचें
  • कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, जैसे कि फैटी फूड्स
  • एसटीडी और अन्य पुराने रोगों एवं संक्रमणों के लिए परीक्षण करवाएं
  • गर्भवती होने से पहले और बाद के टीके लगवा लें।
  • किसी भी प्रकार का नशा जैसे अलकोहल या तम्बाखू उत्पाद का सेवन बिलकुल भी ना करें 

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डिलीवरी से जुड़ी जटिलताएं (labor complications)

प्रसव की जटिलताएं महिला के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं। जैसे कि-

गर्भस्थ भ्रूण की उल्टी स्थिति (Breech position)

नॉर्मल प्रेगनेंसी में डिलीवरी से पहले अपने आप ही शिशु का सिर नीचे की ओर आ जाता है। नॉर्मल डिलीवरी के लिए इस स्थिति को सबसे सही माना जाता है। वहीं जब शिशु का सिर ऊपर और पैर नीचे आते हैं तो इस स्थिति को ‘ब्रीच बर्थ‘ कहा जाता है। इस स्थिति में पैदा होने वाले अधिकांश बच्चे स्वस्थ होते हैं।

अगर आप अपने बच्चे में संकट के लक्षण दिखाई देते हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें। प्रसव शुरू होने के समय बच्चा अभी भी ब्रीच स्थिति में होता है, तो अधिकांश डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं।

प्लेसेंटा प्रेविया (Placenta previa)

प्लेसेंटा प्रिविआ का मतलब है कि प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा को कवर कर रहा है।अगर यह मामला है तो डॉक्टर आमतौर पर सिजेरियन डिलीवरी करेंगे।

जन्म के वक्त, शिशु के वजन मे कमी होना (Low birth weight)

कम जन्म वजन आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान खराब पोषण या सिगरेट, शराब या ड्रग्स के उपयोग के कारण होता है। ऐसे शिशुओं को कुछ बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है जैसे-

  • श्वासप्रणाली में संक्रमण
  • विकलांगता
  • दिल का संक्रमण
  • अंधापन
  • जन्म के बाद बच्चे को कुछ महीनों तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है।

टीप : गर्भावस्था में होने वाले कई गंभीर लक्षण और परेशानियों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए खासकर प्रथम ट्राइमेस्टर मे। ऐसे किसी भी लक्षण या परेशानी का आभास होने पर तत्काल आने हैल्थकेयर प्रोफेशनल या गयनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।

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