आखिर कैसे इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) दस्त और कब्ज़ दोनों के इलाज में है इतना Effective

इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) दस्त और कब्ज़ दोनों के इलाज में है कारगर है। आजकल के आधुनिक दौर में खान-पान में अनियमितता, भागदौड़ भरा जीवन और तनाव युक्त माहौल व्यक्ति के पाचन तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित करता है। खराब खानपान, देर से सोना और देर से जागना, दिन भर एक ही जगह बैठकर घंटों कंप्यूटर के सामने काम करना ये सब आदतें आपके पेट की सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं।

इस सब गलत आदतों का पाचन तंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कब्ज़ आंव (amoebiasis) और दस्त समेत कई अन्य तरह की समस्याएं होने लगती है। सदियों से आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में इसबगोल का इस्तेमाल हो रहा है। भरपूर मात्रा में फाइबर होने के कारण इसबगोल को कब्ज से राहत तथा दस्त से मुक्ति दिलाने के लिए जाना जाता है।

इसबगोल की भूसी (Psyllium husk)

पिछले एक दशक के शोधकर्ताओं ने इस स्वाभाविक रूप से होने वाली प्रफुल्लित बायोमटेरियल जड़ी बूटी में रुचि दिखाई है। इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है।

यह पौधा देखने में बिल्कुल गेंहूं के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) कहते हैं।

इसबगोल की भूसी (Psyllium husk)
Isabgol Plant and Seed Husk

इसबगोल की भूसी में कई औषधीय गुण पाए जाए हैं और यह सेहत के लिए बहुत गुणकारी है। भारत समेत विश्व के कई देशों में ईसबगोल की खेती की जाती है और भारत से कई पडोसी देशों में इसबगोल का निर्यात भी किया जाता है।

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इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) में मौजूद पोषक तत्व

पोषक तत्वमात्रा प्रतिशत (%) 
प्रोटीन0.94 
एल्ब्यूमिन35.8 
ग्लोब्युलिन23.9 
प्रोलामिन 11.7 
कुल कारबोहाइड्रेट्स84.98 

कब्ज़, दस्त और आंव (amoebiasis) के इलाज में इसबगोल का उपयोग

अपनी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार और रोगानुसार खुराक पर अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।अपनी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार और रोगानुसार खुराक पर अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।

कब्ज़ में

कब्ज़ और पेट की ऐंठन में खाना खाने के १ घंटे बाद १ गिलास गुनगुने पानी में १ चम्मच इसबगोल घोल कर पी लें फिर २ गिलास गुनगुना पानी और पी लें। ऐसा सुबह शाम दोनों टाइम करें जल्द आराम मिलेगा।

पेट साफ़ करने के लिए रात में एक चम्मच त्रिफला पाउडर और दो चम्मच ईसबगोल भूसी मिलाकर गर्म पानी के साथ इसका सेवन करें।

डायरिया, पेचिश (आंव) और दस्त में

डायरिया पेचिश (आंव) और दस्त से परेशान हैं तो दही में दो चम्मच इसबगोल की भूसी डालकर दिन भर में दो-तीन बार इसका सेवन करें, तुरंत राहत मिलेगी। शक्कर के उपयोग से परहेज करें यह पेचिश और आंव में नुकसानदायक हो सकता है।

इसबगोल के चिकित्सीय उपयोग

इसबगोल के स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के कई फायदे हैं। अनुशंसित खुराक में लेने पर यह कुछ स्थितियों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मुद्दों के लिए

घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फ़ाइबर से भरपूर इसबगोल आपके पाचन को दुरुस्त रखती है। इसका सेवन करने से सभी तरह के पेट के विकारों में लाभ होता है।

कब्ज के प्रबंधन के लिए इसबगोल के फायदे

  • इसबगोल मल के आसानी से निकलने में योगदान देता है क्योंकि यह अकिण्वित जेल जोड़ता है, जो एक कम करनेवाला और स्नेहक एजेंट के रूप में कार्य करता है।
  • अध्ययन और नैदानिक ​​परीक्षणों से पता चला है कि यह मल में नमी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग वाले रोगियों में सूखे और गीले मल के वजन में काफी वृद्धि करता है।
  • इन गुणों के कारण इसबगोल का उपयोग कब्ज को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है।

दस्त आंव (amoebiasis) के लिए इसबगोल के फायदे

अध्ययनों से पता चला है कि ईसबगोल कोलन ट्रांजिट और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल खाली करने के समय को धीमा करने में भी मदद करता है; यह गुण तरल मल से दस्त या मल असंयम से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है।

आंत्र रोगों से निपटने के लिए इसबगोल के फायदे

  • इसबगोल की आपूर्ति करने से इसकी कब्ज-विरोधी गतिविधि के कारण सूजन आंत्र रोग, Irritable bowel syndrome (IBS) और अल्सरेटिव कोलाइटिस के प्रबंधन में मदद मिल सकती है।
  • आंतों में इसबगोल फाइबर के अवायवीय किण्वन के परिणामस्वरूप मेटाबोलाइट्स का एक बड़ा उत्पादन होता है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर के प्रबंधन में

यह ब्यूटिरिक एसिड की एंटीनोप्लास्टिक गतिविधि को प्रतिबंधित करता है। इस प्रकार, यह कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में लाभकारी माना जाता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए

कुल कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन और सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करने में इसबगोल फाइबर (घुलनशील और अघुलनशील) का महत्व है। इस प्रकार, यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

बवासीर के प्रबंधन में

  • आहार में इसबगोल की खुराक लेने से बवासीर के प्रबंधन में मदद मिलती है।
  • चूंकि इसबगोल कब्ज और ढीले मल दोनों से निपटने में मदद करता है, यह बवासीर के प्रबंधन में भी मदद करेगा।
  • एक तुलनात्मक अध्ययन में, बी विटामिन के प्लेसिबो के साथ इलाज करने वालों में कोई बड़ा अंतर नहीं था, और इसबगोल का सेवन करने वालों में रक्तस्राव में कमी आई थी।

टाइप II मधुमेह के लिए

टाइप II मधुमेह वाले लोगों पर अध्ययन से पता चला है कि इसबगोल की भूसी भोजन के बाद प्रभावी रूप से ग्लाइसेमिक और लिपिड नियंत्रण में सुधार करती है।

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अन्य दवाओं के साथ परस्पर प्रभाव (ड्रग इंटरेक्शन)

  • इसबगोल की भूसी या इसबगोल युक्त उत्पादों के साथ लेने पर कुछ दवाएं कम अवशोषण दिखा सकती हैं क्योंकि वे गैस्ट्रिक खाली करने के समय को धीमा कर सकती हैं।
  • हृदय रोगों के जोखिम को कम करने के लिए दी जाने वाली दवाओं का स्तर भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए, इसे चिकित्सकीय देखरेख में लिया जाना चाहिए।
  • जब इंसुलिन पर निर्भर मधुमेह रोगी भोजन के साथ इसबगोल की भूसी का सेवन करते हैं तो इंसुलिन की खुराक कम कर देनी चाहिए।
  • इसबगोल की भूसी को समानांतर रूप से लेते समय थायराइड हार्मोन की खुराक को समायोजित करने के लिए चिकित्सा पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है।
  • औषधीय उत्पादों के साथ इसबगोल का सेवन चिकित्सकीय देखरेख में किया जाना चाहिए जो पेरिस्टाल्टिक मूवमेंट (मांसपेशियों के संकुचन जो भोजन को पाचन तंत्र के माध्यम से ले जाते हैं) को रोकते हैं।

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इसबगोल के साथ सावधानियां

निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • यदि इसबगोल का सेवन करने के बाद आपको सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, निगलने में कठिनाई, जमाव या उल्टी का अनुभव होता है, तो आपको तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
  • लंबे समय तक इसबगोल की भूसी का सेवन करने से विटामिन बी12, जिंक, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और कॉपर का अवशोषण कम हो सकता है। यह कैल्शियम अवशोषण को भी प्रभावित कर सकता है।
  • ईसबगोल की भूसी से दवा लेने के अलग-अलग समय पर (अधिमानतः एक घंटे बाद) लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसके परस्पर प्रभाव (ड्रग इंटरेक्शन) हो सकते हैं।
  • अगर आप पहले कभी एपेंडिसाइटिस या पेट में ब्लॉकेज जैसी समस्याओं से पीड़ित रह चुके हैं तो ईसबगोल (Isabgol) का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रुर लें।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। इसलिए अगर आप गर्भवती हैं और कब्ज़ से आराम पाने के लिए इसबगोल का सेवन करना चाहती हैं तो पहले अपनी गायनकोलॉजिस्ट से इस बारे में पूछ लें।
  • तीन साल से कम उम्र के बच्चों को ईसबगोल की भूसी खिलाने से परहेज करना चाहिए।
  • कभी भी इसबगोल के पाउडर (Isabgol Powder) को सीधे निगलने की कोशिश ना करें। ऐसा करने से यह गले में अटक सकता है और तेज खांसी या गले में जलन की समस्या हो सकती है। हमेशा ईसबगोल को पानी या दही के साथ ही लें।
नोट : बेशक इसबगोल के फायदे और नुकसान दोनों है लेकिन अगर आप सीमित मात्रा में या डॉक्टर या आयर्वेदिक चिकित्सक द्वारा बताई गयी खुराक के अनुसार इसका सेवन करें तो आप इसबगोल के सभी फायदों का लाभ उठा सकते हैं।

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