8 Benefits of Thornapples/ Jimsonweeds- सर्वगुण संपन्न औषधि है महादेव शंकर जी का प्रिय धतूरा

धतूरा (Thornapples/Jimsonweeds) का प्रयोग अधिकांश लोग नशे के लिए करते है जो की स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है लेकिन यदि इसका उचित मात्रा में वैद्य की सलाह से चिकित्सा में प्रयोग किया जाय तो अभूतपूर्व लाभ मिलता है।

धतूरा का पौधा जड़ से लेकर तना तक औषधि गुणों से परिपूर्ण होता है। आयुर्वेद पद्धति में धतूरा का बहुत महत्व है साथ ही आदि काल से घरेलु उपचार के रूप में इसका प्रयोग घरों में किया जाता रहा है।

भारतवर्ष जिसके कण कण में अध्यात्म छुपा हुआ है और हर आध्यात्मिक कहानी के पीछे का पूरा इतिहास है जिसमे पुरे ब्रम्हांड का ज्ञान एवं औषध विज्ञान की जानकारी है। एक ऐसी धरती जहा कंकर-पत्थर, पेड़-पौधे, जिव-जंतुओं तक की पूजा की जाती है इन सब के पीछे कहीं न कहीं धार्मिक, आध्यात्मिक, औषध और अन्य वैज्ञानिक कारण छुपे होते हैं जिनपर समय समय में रीसर्च किया जाता रहा है।

धतूरा

बड़ी बढ़ी हरी पत्तियों और बड़े सफ़ेद पुषों वाला एक ऐसा पौधा जो सर्व उपलब्द्ध आसानी से कहीं भी उग सकता है अनेकानेक औषधि गुणों से भरपूर होता है।

Thornapples Jimsonweeds धतूरा

आमतौर पर यह नशा युक्त, जहरीला जंगली पादप होता है जो लगभग १ मीटर तक ऊँचा हो सकता है और इसकी 4 प्रजातियां होती हैं काला ,उजला, नीला और पीला। जिसमें से काला और उजला प्रमुख है। काले धतूरे का फूल नीली चित्तियों वाला होता है।

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अन्य भाषाओँ में प्रचलित नाम

संस्कृत – धतूर, मदन, उन्मत्त, मातुल,

हिन्दी – धतूरा,

बंगला – धुतुरा,

मराठी – धोत्रा, धोधरा,

गुजराती – धंतर्रा,

अंग्रेजी – Thornapples, Jimsonweeds, Devil’s Trumpets, Moonflower, Devil’s Weed, and Hell’s Bells

वैज्ञानिक वर्गीकरण

जगत:Plantae

संघ: Magnoliophyta

वर्ग: Magnoliopsida

गण: Solanales

कुल: Solanaceae

वंश: Datura

धार्मिक मान्यताएं जो धतूरा की औषध गुणों को उजागर करती हैं

हिंदू धर्म में अधिकांश लोग यह जानते हैं कि महादेव को धतूरा के फूल, फल और पत्तियां चढ़ाई जाती है इससे महादेव काफी प्रसन्न होते हैं।

महादेव को धतूरा इतना प्रिय क्यों है इसके पीछे की धार्मिक मान्यताओं और कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष का पान करने के बाद भोलेनाथ व्याकुल हो उठे, उनकी व्याकुलता को समाप्त करने के लिए अश्विनी कुमारों ने बेलपत्र, भांग, धतूरे जैसी औषधियों का उपयोग किया, तभी से यह सभी वस्तुएं महादेव को प्रिय हैं।

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धतूरा के औषधीय उपयोग

धतूरा के बीज, पत्तियों और जड़ों का उपयोग पागलपन, बुखार, दस्त, मस्तिष्क संबंधी जटिलताओं, त्वचा रोगों में किया जाता है। इसके पत्तों और बीज के रस को तेल में मिलाकर गठिया के सूजन, फोड़े और गांठों में दर्द को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। कफ को ठीक करने के लिए इसके पौधे की पत्तियों से धूम्रपान किया जाता है।

आइये इसके औषधीय उपयोग के बारे में विस्तार से जानते हैं-

नवजात शिशुओं को सर्दी से बचाने में

जाड़े के मौसम में नवजात शिशु को सर्दी जुकाम होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में धतूरे के पत्ते पर सरसों तेल लगाकर बच्चे की सिर की चांदी पर रख दें और बच्चे को कुछ देर के लिए धूप में रखें।

मिर्गी के रोगियों के लिए फायदेमंद

मिर्गी का दौरा पड़ने पर धतूरे की जड़ को सुंघाने से रोगी को तत्काल फायदा होता है।

स्तनों की सूजन

स्त्री के स्तनों की सूजन में धतूरे के पत्तों को गर्म करके बांधने से आराम मिलता है। जिस स्त्री के दूध अधिक होने से स्तन में गांठे हो जाने का डर हो उसके दूध को रोकने के लिए स्तन पर धतूरे के पत्ते बांधने से लाभ होता है।

गलशोथ की बीमारी में

कान का निचला हिस्सा फूल जाना, बुखार होना और कान में दर्द। रात में सोने से पहले सरसों तेल लगाकर धतूरे के पत्ते को गर्म करें और सूजन वाले स्थान पर सिखाई करके उस पत्ते की पट्टी बांधे। काफी फायदा होगा।

गंजेपन से बचने के लिए इसका उपयोग

धतूरे के रस को नियमित रूप से बालों में लगाना फायदेमंद है, यह बालों को झड़ने से रोकता है तथा नए बाल भी आने शुरू हो जाते हैं।

जोड़ों के दर्द में राहत

जोड़ों के दर्द से परेशान है या पैरों में सूजन या भारीपन लगता है तो धतूरे की पत्तियों को पीसकर इसका लेप लगाया जा सकता है। इसे तत्काल आराम मिलेगा। धतूरे के रस को तेल में मिलाकर गर्म करके गुनगुना लगाना भी फायदेमंद होता है।

कान दर्द में रामबाण

कान में दर्द हो रहा हो या घाव हो तो धतूरे के फल को सरसों तेल में खौला कर उस तेल को ठंडा करके अथवा गुनगुना कुछ बूंदें कान में डालने पर आराम होता है।

पौरुषत्व वृद्धि

पुरुषों के लिए धतूरे का सेवन किसी वरदान से कम नहीं है। इससे उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ती है।  इसका सेवन करने के लिए आप पहले इसके बीज और लौंग दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें फिर इसके बाद इसमें शहद मिलाकर छोटी गोलियां बना लें और हर दिन एक गोली सुबह सेवन करें। ज़रूर लाभ होगा

धतूरे के उपयोग की सावधानी

आयुर्वेद में धतूरा को विष वर्ग में रखा गया है इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि धतूरे को खान-पान में उपयोग में बिल्कुल भी नहीं लाएं क्योंकि यह विषैला होता है। इसमें कुछ जहरीले तत्व पाए जाते हैं। खाने में तो इसका बिल्कुल भी उपयोग नहीं करना चाहिए इसके साथ ही ज्यादा गहरे घाव पर भी इसके का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

बाजार में मिलने वाले भांग में नशा बढ़ाने के लिए कभी-कभी इसका उपयोग किया जाता है बाजार में बिकने वाले भांग में मादकता बढ़ाने के लिए भांग के साथ धतूरे का कुछ अंश मिला दिया जाता है जो लोगों के जान के साथ खिलवाड़ करना है। कई बार इसकी भयानक स्थिति देखने को मिली है।

अस्वीकरण : धतूरे को खान-पान में उपयोग में बिल्कुल भी नहीं लाएं क्योंकि यह विषैला होता है। किसी भी तरह की परिस्थिति में अपने आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर ही इसका उपयोग उपचार हेतु करें। यहाँ दी गई जानकारी पाठन उपयोग हेतु है।

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